शीला दीक्षित : भारतीय राजनीति की सशक्त महिला

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    शीला दीक्षित भारतीय राजनीति में एक बहुत ही नामित चेहरा है, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में रहकर अपनी सेवा दी है. इन्होने हमारे देश की राजधानी दिल्ली में 3 बार मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं, जिसके चलते उनके पास अपनी पार्टी का नेतृत्व करने का बेहतर रिकॉर्ड भी है. काफी समय से गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के चलते उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली थी और में दिनांक 20 जुलाई 2019 को उनका देहावसान हो गया I इतनी शक्तिशाली महिला शीला दीक्षित ने अपने कार्यकाल में क्या – क्या महत्वपूर्ण कार्य किये एवं उनका राजनितिक कैरियर कैसा रहा यह सभी जानकारी आपको हमारे इस लेख में अंत तक पढने पर प्राप्त होगी|

    शीला दीक्षित का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

    शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। शीला दीक्षित ने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के कान्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मेरी स्कूल से ली थीI उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से इतिहास में मास्टर्स की डिग्री ली थी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही डॉक्टर ऑफ़ फिलोसोफी की थी|

    शीला दीक्षित के परिवार की जानकारी

     

    शीला दीक्षित के पति स्वर्गवासी आईएएस ऑफिसर थे, शीला दीक्षित ने प्रेम-विवाह किया था, जिसके बारे में उन्होंने खुद बताया था कि चांदनी चौक के पास बस में विनोद ने उन्हें प्रोपोज किया था, लेकिन उन दोनों के घरवाले इस अंतरजातीय विवाह के लिए बेहद मुश्किल से माने थे. विनोद तब आईएएस की तैयारी कर रहे थे, इसलिए शीला और विनोद ने परीक्षा की तैयारी के दौरान दूरी भी रखी थी, विनोद ने 1959 में आईइएस की परीक्षा में नौवा स्थान हासिल किया था, और इसके बाद शीला के घरवाले उनके विवाह के लिए मान गए थे, लेकिन विनोद की माताजी  ने विवाह को स्वीकृति देने में काफी समय लिया और 11 जुलाई 1962 में दोनों का विवाह हुआ थाI उनके पुत्र संदीप दीक्षित भी इंडियन नेशनल कांग्रेस का सदस्य हैं, वो 15 वीं लोकसभा का सदस्य रह चुके हैं|

     

    शीला दीक्षित का सियासी सफर

    शीला दीक्षित भारतीय राजनीति में संयोग से आई थी,  उनके स्वर्गवासी ससुर उमा शंकर दीक्षित सक्रिय क्रांतिकारी थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था, वो तब इंदिरा गाँधी के कैबिनेट में यूनियन कैबिनेट मिनिस्टर थे,  उस दौरान शीला दीक्षित उन्हें असिस्ट कर रही थीI तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके मैनेजमेंट स्किल्स की तारीफ़ भी की थी और दीक्षित को यूएन कमिशन में महिलाओं की स्थिति के विश्लेषण के लिए भारत के प्रतिनिधि के रूप में भी भेजा था, इस तरह उन्होंने राजनीति में प्रवेश लिया था|

    1970 में शीला दीक्षित युवा महिला एसोसिएशन की चेयरपर्सन थी, उन्होंने दिल्ली में दो सबसे सफल वर्किंग वीमेन हॉस्टल स्थापित करने की मदद की, इसके बाद दीक्षित ने गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन में एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी के तौर पर भी कार्य किया था|

    उत्तरप्रदेश में 1984 से 1989 तक उत्तरप्रदेश के कन्नौज का प्रतिनिधित्व करते हुए पार्लियामेंट की सदस्य रही. 1986 से 1989 तक उन्होंने केन्द्रीय मंत्री में दो महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था और पार्लियामेंट एवं प्रधानमन्त्री के कार्यालय से सम्बंधित कामों को देखा था, उस दौरान उन्होंने पार्लियामेंट्री कार्य और प्रशासनात्मक कार्यों के लिए अपना पूरा समर्पण दिखाया था|

    1984 से लेकर 1989 तक यूनाइटेड नेशन कमिशन में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया उसके बाद उन्होंने 1990 में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के विरूद्ध भी आन्दोलन चलाए|

    वो 1998 से लेकर 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री थी, वो दिल्ली की सबसे ज्यादा समय तक रहने वाली मुख्यमंत्री के साथ ही लोकप्रिय मुख्यमंत्री भी थी|

    उन्होंने मार्च 2014 से लेकर अगस्त 2014 तक केरल में गवर्नर के पद पर भी कार्य किया था, शीला को केरल में गवर्नर के पद पर नियुक्त करने की घोषणा केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने की थी|

    2017 में यूपी स्टेट इलेक्शन के दौरान उन्हें यूपी अध्यक्ष बनाया गया लेकिन जल्द ही कांग्रेस के समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के कारण उन्हें हटा दिया गया, स्वास्थ संबंधी कारणों के चलते वो 2019 के आम चुनावों से दूर रही|

    अपने राजनीतिक कैरियर में शीला दीक्षित ने बहुत से महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था, और उन्होंने जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट, पब्लिक रिलेशन, हायर एजुकेशन, ट्रेनिंग एंड टेक्निकल एजुकेशन, एड्मिनिश्त्रेशन रिफॉर्म्स, होम डिपार्टमेंट, विधायकों के मामले और कानून न्याय, सर्विस डिपार्टमेंट, सतर्कता विभाग, जल, आर्ट एंड कल्चर, पर्यावरण, वन और वाइल्ड लाइफ जैसे महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट भी सम्भाले, इसके अतिरिक्त वो लोकसभा एस्टीमेट कमिटी की सदस्य भी रह चुकी थी और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के चालीस वर्ष और जवाहरलाल नेहरू के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में गठित क्रियान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी|

    शीला दीक्षित और विवाद

    2009 में उन पर बीजेपी कार्यकर्ता सुनीता भरद्वाज ने ये आरोप लगाया कि उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा राजीव रत्न योजना के लिए दिए गये राशि का निजी विज्ञापन में उपयोग किया हैंI 2013 में उनके खिलाफ दायर एक एफ़आईआर में उन्हें लोकपाल अदालत में दोषी पाया गया था|

    2009 में दीक्षित की तब आलोचना हुयी, जब उन्होंने जेसिका लाल के मर्डर केस में मृत्यु दंड की सजा काट रहे मनु शर्मा को पेरोल की अनुमति दे दी|

    2010 में कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) ने शीला दीक्षित पर कामनवेल्थ गेम्स के दौरान आयातित स्ट्रीटलाइट्स और इससे जुड़े उपकरणों में अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगा था|

    शीला दीक्षित और अवार्ड्स

    वर्ष                      अवार्ड्स

    2008                   जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा बेस्ट चीफ मिनिस्टर

    2009                   एनडीटीवी द्वारा पोलिटीशियन ऑफ़ दी इयर अवार्ड

    2013                   दिल्ली वीमेन ऑफ़ डिकेड अचीवर अवार्ड

    शीला दीक्षित की बीमारी एवं निधन

    शीला दीक्षित की नवंबर 2012 में एंजियोप्लास्टी हुई. उनका नियमित रूप से फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट में ईलाज किया जा रहा था. सन 2018 में उनकी फ़्रांस के लिले जोकि यूनिवर्सिटी और अस्पताल हैं में हार्ट सर्जरी हुई. इसके बाद से वे बेड रेस्ट में चल रही थी. किन्तु फिर उन्हें कल यानि 19 जुलाई 2019 को कार्डियक अर्रहिथमिया के लिए फोर्टिस में भर्ती कराया गया, और वहां उनकी हालत गंभीर होने की वजह से उन्हें वेंटीलेटर में रखा गया था. किन्तु उनकी हालत और अधिक गंभीर होती चली गई और फिर 20 जुलाई 2019 को बीमारी के चलते उनका निधन हो गया| शीला दीक्षित सशक्त महिला और राजनेता थी,जिनका सम्मान उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और दिग्गज नेताओं के अतिरिक्त विपक्षी पार्टी के नेता भी करते थे| उनके किए गए कई महत्वपूर्ण कार्यों के कारण जनता भी उन्हें बेहद पसंद करती थी, इसीलिए उन्हें तीन बार मुख्यमंत्री के पद तक पहुँचाया था|

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